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15 अगस्त को क्य मनाया जाता है

 सन् 1947 इसी दिन भारत के निवासियों ने ब्रिटिश शासन से स्‍वतंत्रता प्राप्त की थी। यह भारत का राष्ट्रीय त्यौहार है। लाल किले पर फहराता तिरंगा; स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर फहरते झंडे अनेक इमारतों व स्थानों पर देखे जा सकते हैं। प्रतिवर्ष इस दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हैं।

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हम शिव नादर स्कूल, चेन्नई में अपने 77वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान अनुभव किए गए आनंदमय क्षणों को साझा करते हुए रोमांचित हैं। यह शैक्षणिक वर्ष का हमारा पहला बड़ा आयोजन था, और यह हमारे विद्यालय समुदाय में व्याप्त एकता और देशभक्ति की भावना का एक हृदयस्पर्शी प्रमाण था



भारत की स्वतंत्रता के 77 वर्ष का गौरवपूर्ण जश्न

हम शिव नादर स्कूल, चेन्नई में अपने 77वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान अनुभव किए गए आनंदमय क्षणों को साझा करते हुए रोमांचित हैं। यह शैक्षणिक वर्ष का हमारा पहला बड़ा आयोजन था, और यह हमारे विद्यालय समुदाय में व्याप्त एकता और देशभक्ति की भावना का एक हृदयस्पर्शी प्रमाण था।

हमारी प्रधानाचार्या, सुश्री पद्मिनी संबाशिवम के संबोधन ने इस ऐतिहासिक अवसर के सार को समेटते हुए, दिन की शुरुआत की। उनके शब्द हमारे छात्रों और अभिभावकों, दोनों के दिलों में गहराई से उतर गए, और हमारे साझा इतिहास के महत्व और इस महान राष्ट्र का हिस्सा होने के सौभाग्य के साथ आने वाली ज़िम्मेदारियों पर ज़ोर दिया।

इस दिन का मुख्य आकर्षण निस्संदेह छात्रों का प्रदर्शन था। हास्य के एक ऐसे स्पर्श के साथ जिसने अभिभावकों को भी हँसा दिया, हमारे छात्रों ने तमिलनाडु की एक वीर रानी वेलु नाचियार की प्रेरक कहानी सुनाई और उसका अभिनय किया, जिन्होंने हमारे स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका निभाई। यह अभिनय केवल एक प्रदर्शन नहीं था; यह साहस और दृढ़ संकल्प का एक जीवंत चित्रण था जिसने उपस्थित सभी लोगों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी।

माहौल देशभक्ति से भर गया जब हमारे युवा स्वर गलियारों में गूंज रहे थे और तीन अलग-अलग भाषाओं, अंग्रेजी, हिंदी और तमिल में दिल को छू लेने वाले देशभक्ति गीत गा रहे थे। यह उस विविधता का सच्चा प्रतिनिधित्व था जो हमें भारतीयों के रूप में एकजुट करती है। जब हमारे जोशीले नर्तक मंच पर आए और प्रतिष्ठित "जय हो" गीत पर अपने जीवंत नृत्यों से लोगों का दिल जीत लिया, तो ऊर्जा चरम पर पहुँच गई।

इस उत्सव का सबसे दिल को छू लेने वाला हिस्सा यह था कि हमारे माता-पिता पूरी तरह से उत्सव में डूबे हुए थे। जहाँ एक ओर वे शो का आनंद ले रहे थे, वहीं दूसरी ओर हमने माहौल में भाईचारे की गर्माहट देखी, जहाँ माता-पिता आपस में बातचीत और हँसी-मज़ाक कर रहे थे, जिससे हमारे स्कूल समुदाय के रिश्ते और भी मज़बूत हो रहे थे।

इस दिन को इतना यादगार बनाने के लिए हम अपने छात्रों, अभिभावकों और कर्मचारियों का हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं। इस खुशी के अवसर पर, आइए हम याद रखें कि स्वतंत्रता की भावना हम सभी में बसती है। आइए, स्वतंत्रता, एकता और प्रगति के मूल्यों को पोषित करके अपने पूर्वजों के बलिदानों का सम्मान करते रहें।

स्वतंत्रता दिवस (भारत)

भारत का स्वतंत्रता दिवस (अंग्रेज़ीIndependence Day of India) हर वर्ष १५ अगस्त को मनाया जाता है। सन् 1947 में इसी दिन भारत के निवासियों ने ब्रिटिश शासन से स्‍वतंत्रता प्राप्त की थी। यह भारत का राष्ट्रीय त्यौहार है।

प्रतिवर्ष इस दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से देश को सम्बोधित करते हैं। १५ अगस्त १९४७ के दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने, दिल्ली में लाल किले के लाहौरी गेट के ऊपर, भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया था।[1] महात्मा गाँधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में लोगों ने काफी हद तक अहिंसक प्रतिरोध और सविनय अवज्ञा आंदोलनों में हिस्सा लिया। स्वतंत्रता के बाद ब्रिटिश भारत को धार्मिक आधार पर विभाजित किया गया, जिसमें भारत और पाकिस्तान का उदय हुआ। विभाजन के बाद दोनों देशों में हिंसक दंगे भड़क गए और सांप्रदायिक हिंसा की अनेक घटनाएं हुईं। विभाजन के कारण मनुष्य जाति के इतिहास में इतनी ज्यादा संख्या में लोगों का विस्थापन कभी नहीं हुआ। यह संख्या तकरीबन 1.45 करोड़ थी। भारत की जनगणना 1951 के अनुसार विभाजन के एकदम बाद 72,26,000 मुसलमान भारत छोड़कर पाकिस्तान गये और 72,49,000 हिन्दू और सिख पाकिस्तान छोड़कर भारत आए। [2]

इस दिन को झंडा फहराने के समारोह, परेड और सांस्कृतिक आयोजनों के साथ पूरे भारत में मनाया जाता है। भारतीय इस दिन अपनी पोशाक, सामान, घरों और वाहनों पर राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित कर इस उत्सव को मनाते हैं और परिवार व दोस्तों के साथ देशभक्ति फिल्में देखते हैं, देशभक्ति के गीत सुनते हैं।[



लाल क़िला 


लाल किला या लाल क़िलादिल्ली के ऐतिहासिक, क़िलेबंद, पुरानी दिल्ली के इलाके में स्थित, लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है। किले को "लाल किला", इसकी दीवारों के लाल-लाल रंग के कारण कहा जाता है। इस ऐतिहासिक किले को वर्ष २००७ में युनेस्को द्वारा एक विश्व धरोहर स्थल चयनित किया गया था। [1] भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित लाल किला (Lal Kila) देश की आन-बान शान और देश की आजादी का प्रतीक है। मुगल काल में बना यह ऐतिहासक स्मारक विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल है और भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। लाल किला के सौंदर्य, भव्यता और आर्कषण को देखने दुनिया के कोने-कोने से लोग आते हैं और इसकी शाही बनावट और अनूठी वास्तुकला की प्रशंसा करते हैं।
  














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